Sunday, 3 January 2016

pathankot hamla


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नया  साल कैसा आया ,सुबह ये कैसी आयी है 
सात जवानों की लाशे फिर से वापस घर आयी हैं 
         हमारे जवानो ने दुश्मन से लड़ते हुये शायद यही कहा होगा
          दो पल देदे जिन्दगी मांग रहे हैं उधार 
          अभी मृत्यु संग जाने को हम नहीं हैं तैयार 
          सांसे मुल्ज़िम नहीं हमारी सजा अभी बेकार 
          फर्ज निभा के चलते हैं जल्दी क्या है यार 
        दुश्मन दरवाजे पर है ,घर में घुस करे प्रहार 
        कुछ को हमने मार दिया अब तू बाकी को मार 
जवानों के जिस्म में जब बारूद का धुँआ निकला 
देश  की  आँखों  में  खून   का    कुआँ     निकला
          

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