"न पाने की ख़ुशी है कुछ, न खोने का ही कुछ ग़म है
ये दौलत और शोहरत सिर्फ कुछ ज़ख्मों का मरहम हैं
अजब सी कश्मकश है रोज़ जीने रोज़ मरने में
मुक़म्मल ज़िन्दगी तो है, मगर पूरी से कुछ कम है"
KUMAR VISHVASH
Thursday, 14 May 2015
suvichar
ज्ञानी व्यक्ति का यश इस जग पर वैसे ही छा जाता है जैसे सूरज की किरणों को कोई रोक नहीं पाता है ऐसे ही व्यक्ति कठिन लक्ष्य पर विजय श्री पा पाते हैं जो कठिन परिश्रम ,संयम ,कौशल और धैर्य अपनाते हैं शालिनी शर्मा
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