"न पाने की ख़ुशी है कुछ, न खोने का ही कुछ ग़म है
ये दौलत और शोहरत सिर्फ कुछ ज़ख्मों का मरहम हैं
अजब सी कश्मकश है रोज़ जीने रोज़ मरने में
मुक़म्मल ज़िन्दगी तो है, मगर पूरी से कुछ कम है"
KUMAR VISHVASH
Friday, 15 January 2016
JNU HANGAMA
देश ने फिर से गंवा दिये अपने पांच जवान पर कुछ की अब भी नही काबू में जबान सरे आम वो कर रहे उनका ही गुणगान जिसने कभी बनाया था संसद को शमशान
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