जैसे ज्यादा बारिश से मोसम होता बेकार
वैसे ही ज्यादा झगड़ो से कम होता है प्यार
वैसे ही ज्यादा झगड़ो से कम होता है प्यार
ना हमने संस्कार खरीदे,ना बेची खुशियां हमने
नफरत के बाजारो में,आखिर में पाया क्या हमने
शालिनी
नफरत के बाजारो में,आखिर में पाया क्या हमने
शालिनी
कुछ की सुनकर हमको तू ,इतना भी बदनाम ना कर
इतने भी हम बुरे नहीं ,रुसवा करने का काम ना कर
इतने भी हम बुरे नहीं ,रुसवा करने का काम ना कर
मुश्किल से रिश्ते बनते हैं ,रिश्तों की क्यों कद्र नहीं
नहीं दोस्त गर बन सकता, तो दुश्मन जैसा काम ना कर
शालिनी शर्मा
नहीं दोस्त गर बन सकता, तो दुश्मन जैसा काम ना कर
शालिनी शर्मा
"सबके संग उनका भी होना अच्छा लगता है
किस्से तुम कुछ और कहो ना अच्छा लगता है
किस्से तुम कुछ और कहो ना अच्छा लगता है
घर का बिस्तर और बिछोना अच्छा लगता है
अपने घर का कोना कोना अच्छा लगता है
अपने घर का कोना कोना अच्छा लगता है
बच्चो का हर खेल ,खिलोना अच्छा लगता है
जिद ,भोलापन, रूप सलोना अच्छा लगता है
जिद ,भोलापन, रूप सलोना अच्छा लगता है
घर में क्यारी, पोधे बोना अच्छा लगता है
ओस का इन पोधो को धोना अच्छा लगता है..."
---शालिनी शर्मा
ओस का इन पोधो को धोना अच्छा लगता है..."
---शालिनी शर्मा
"हमारी बेबसी को तुम कभी समझो या ना समझो
तुम्हारी बेबसी को हम जरूर भांप जाते हैं
बुलाया था नहीं आये ,रही होगी कोई दुविधा
अगर हम जा ना पाये ,हमसे रूठ आप जाते हैं..."
शालिनी शर्मा
तुम्हारी बेबसी को हम जरूर भांप जाते हैं
बुलाया था नहीं आये ,रही होगी कोई दुविधा
अगर हम जा ना पाये ,हमसे रूठ आप जाते हैं..."
शालिनी शर्मा
कैसे होली,ईद मनाये ,कैसे मने त्योहार
जब दोनो के बीच खड़ी हो धर्मो की दीवार
जब दोनो के बीच खड़ी हो धर्मो की दीवार
उत्सव कैसे कोई मनाये ,कैसे करें श्रंगार
जब दुश्मन घर में छिपकर करता रहता हो वार
जब दुश्मन घर में छिपकर करता रहता हो वार
"रिश्तो में झूठ, स्वार्थ का विष वो मिलाता है
विश्वासघात करके ,घरो को जलाता है
जब भी दिखाया आइना करतूतो का उसकी
गुस्ताख काण्ड फिर बड़ा कोई कर दिखाता है..."
शालिनी शर्मा
बेटी बचाओ
बेटी पढ़ाओ
स्टाइल में रहने का
विश्वासघात करके ,घरो को जलाता है
जब भी दिखाया आइना करतूतो का उसकी
गुस्ताख काण्ड फिर बड़ा कोई कर दिखाता है..."
शालिनी शर्मा
बेटी बचाओ
बेटी पढ़ाओ
स्टाइल में रहने का
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